इस पाठ को पढ़ना हमारे लिए जरूरी है क्योंकि पानी हमारे जीवन का आधार है। हम रोज़ पानी का उपयोग पीने, खाना बनाने, सफाई करने और पौधों को सींचने में करते हैं। यदि हम पानी का महत्व समझेंगे, तो इसे व्यर्थ नहीं करेंगे और इसे बचाने की कोशिश करेंगे। इससे हम आने वाले समय में पानी की कमी से बच सकते हैं। जब हम पानी का सही उपयोग करेंगे, तो धरती हरी-भरी और सुंदर बनी रहेगी।
सूरज तप रहा था l धरती जल रही थी l शादी के दो साल बाद जिघ्नेश अपनी पत्नी को विदा करवाकर अपने घर ला रहा था l मरुभूमि की यात्रा करते-करते पूरा दिन बीत चुका था l अभी उन्हें अठारह घंटे की यात्रा और करनी थी l
“हलक सूख्यो है, पाणी है ?” पत्नी ने झिझकते हुए पूछा l
(गला सूख गया है, क्या पानी है?)
“हलक तो मेरो भी सूख्यो है l मशक में दो बूँद पाणी रह्यो है l ले, तू पी l” ऊँट को रोकते हुए पति बोला l
“ ना,” सिर हिलाते हुए पत्नी बोली, “तू पी l”
“तू पी l”
“ना, तू पी l”
लेकिन दोनों में से किसी ने पानी नहीं पिया और काफ़ी समय तक पानी न पीने की वजह से वे दोनों कुछ समय के लिए बेहोश हो गए 1l
अपनी दिनचर्या में झाँको l पानी का हमारे जीवन में बहुत उपयोग है l हम पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं l रसोईघर में कितना काम पानी की सहायता से होता है l जैसे -
ये सारी क्रियाएँ पानी की सहायता से ही होती हैं l बिना किसी सूचना के चार-पाँच घंटे के लिए नल से पानी आना बंद हो जाए तो कितनी मुसीबत होती है, यह तो हम सब जानते ही हैं l
पानी जीवन का बहुत आवश्यक तत्व है l मनुष्य, पशु, पक्षी, पौधे, जितने भी जीवधारी प्राणी हैं, सबके लिए पानी आवश्यक है l तुम किसी गमले को उठाकर कमरे में रख लो l चार दिन तक उसमें पानी न डालो तो पौधा मुरझा जाएगा l तुम्हें दो-चार घंटे पानी न मिले तो तुम कितने व्याकुल हो जाते हो !
पानी से ही धरती नरम और उपजाऊ बनती है l किसान भी वर्षा के बाद ही उसमें हल चलाकर खेती कर पाता है l पौधों को बड़ा करने के लिए भी पानी की आवश्यकता होती है l
पानी को प्रदूषित होने से बचाना भी हमारा कर्तव्य है | गाँवों में अभी भी जिस कुएँ से पीने का पानी लिया जाता है, उसी कुएँ के आसपास गंदगी करने, कपड़े आदि धोने का कार्य भी किया जाता है | ऐसा करने से कुएँ का पानी दूषित हो जाता है | दूषित पानी पीने से हैज़ा, टाइफाइड आदि रोग होने की संभावना बनी रहती है |
पानी जीवन का सहारा है | जीवित रहने के लिए जल का सुलभ होना अनिवार्य है | इसीलिए प्राचीन सभ्यताओं का विकास किसी न किसी नदी के किनारे हुआ | खेती-बाड़ी, परिवहन, उद्योग सबके लिए पानी की आवश्यकता होती है इसलिए हमें पानी-रूपी संपदा को हमेशा सुरक्षित रखना है | जहाँ भी स्थान मिले, पेड़-पौधे लगाएँ | वर्षा के होने में वन-उपवन सहायक होते हैं | उनसे इस दिशा में बहुत सहायता मिल सकती है |
अधिक जानकारी के लिए यह वीडियो देखें |
Vid 2.1: पानी अमृत है 2
Summary:
पाठ के शुरुआत में राजस्थान की एक लोककथा बताई गई है | यह एक ऐसी कहानी है जिसमें पति-पत्नी के आपसी प्रेम के साथ-साथ हमारे जीवन में पानी के महत्व को भी दर्शाया गया है। हम पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं l रसोईघर में बहुत सारे काम पानी की सहायता से होते हैं l मनुष्य, पशु, पक्षी, पौधे, जितने भी जीवधारी प्राणी हैं, सबके लिए पानी आवश्यक है l
पानी से ही धरती नरम और उपजाऊ बनती है l किसान भी वर्षा के बाद ही उसमें हल चलाकर खेती कर पाता है l पौधों को बड़ा करने के लिए भी हमें पानी की जरूरत होती है l पानी जीवन का सहारा है इसीलिए पानी को 'अमृत'कहा गया है l
Extension/Further Reading:
97% पानी सिर्फ़ समुद्र में है। नमकीन होने की वजह से इसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है ।
2% पानी ग्लेशियर आइस कैप्स में है।
महज 1% पानी ही पीने और रोजाना के कामकाज के लायक है।
80% बीमारियाँ विकासशील देशों में पानी से जुड़ी हुई हैं।
मानव शरीर में 1 प्रतिशत जल की कमी होने पर प्यास लगती है और 10 प्रतिशत की कमी होने पर उसकी मृत्यु हो सकती है।
हाथी के अंदर 5 किलोमीटर दूर से ही पानी का पता लगाने की क्षमता होती है।
हमारे शरीर से लगभग आधा लीटर पानी पसीने के रूप में, एक लीटर पानी साँस छोड़ने और लेने डेढ़ लीटर पानी मूत्र के रूप में निकल जाता है l इसीलिए हमें प्यास लगती है 3 l