अर्जुन और श्वेता अपने पिताजी के साथ ताजमहल देखने गए l वह यमुना नदी के किनारे बना है l ताजमहल की सुंदरता देखकर वे आश्चर्य में पड़ गए l वहाँ अर्जुन को अपने बचपन का दोस्त वरुण मिला l वरुण से मिलकर उसे बड़ी खुशी हुई l अर्जुन ने वहाँ से लकड़ी पर बना चित्र खरीदा l
ऊपर आए रंगीन शब्द किसी-न-किसी के नाम हैं l सभी नाम संज्ञा होते हैं l इस प्रकार - जो शब्द किसी प्राणी, वस्तु, स्थान या भाव के नाम का बोध करवाते हैं, वे संज्ञा कहलाते हैं 1l
यह पाठ हमारे लिए समझना महत्वपूर्ण है। इससे हम संज्ञा शब्दों को पहचानने और उनके अर्थ को समझने की क्षमता विकसित करते हैं। संज्ञा शब्दों के माध्यम से हमें चीजों, लोगों और स्थानों के नाम जानने में मदद मिलती है, जिससे हमारी भाषा का ज्ञान बढ़ता है। संज्ञा के भेद समझने पर हम वाक्यों को सही ढंग से बना सकते हैं और दूसरों के विचार भी बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। संज्ञा का सही ज्ञान हमें हिंदी में स्पष्ट और प्रभावशाली वाक्य बनाने में सहायक होता है।
जो शब्द किसी प्राणी, वस्तु, स्थान या भाव के नाम का बोध करवाते हैं, वे संज्ञा कहलाते हैं 1l
संज्ञा के तीन भेद हैं -
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा- किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु या स्थान विशेष के नाम की जानकारी देने वाले शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं।
जैसे -
अर्जुन, श्वेता, वरुण - व्यक्तियों (प्राणियों) के नाम
ताजमहल, यमुना - स्थानों के नाम
कुछ और व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द हैं -
2. जातिवाचक संज्ञा- जो नाम शब्द व्यक्ति, वस्तु या स्थान की पूरी जाति के बारे में बताते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे -
पिता, मित्र - व्यक्तियों की जाति
लकड़ी, चित्र - वस्तुओं की जाति
नदी - स्थान की जाति
3. भाववाचक संज्ञा- जो नाम किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के गुण, दोष, अवस्था या मन के भावों के बारे में बताते हैं, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे -
बचपन - अवस्था
आश्चर्य और खुशी - मन के भाव
सुंदरता - गुण
कुछ और भाववाचक संज्ञा शब्द हैं - हरियाली, प्रसन्नता, बुढ़ापा, क्रोध, ऊँचाई, बनावट, मित्रता आदि l
अधिक जानकारी के लिए यह वीडियो देखें |
Vid 2.3 : संज्ञा और उसके भेद 2
Summary:
किसी प्राणी, वस्तु, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं l
संज्ञा के तीन भेद हैं - व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक l
Extension/Further Reading:
किसी का नाम ही उसकी संज्ञा है या नाम से ही उसे पहचाना जाता है । संज्ञा न हो तो पहचान अधूरी है और संज्ञा के बिना भाषा का प्रयोग नहीं किया जा सकता ।
हर हिंदी वाक्य में कही न कही किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या फिर प्राणी के नाम का उपयोग किया जाता हैं, तो उस नाम को संज्ञा कहेंगे और फिर वाक्य के आधार पर हम उस संज्ञा के प्रकार की पहचान कर सकते हैं l