पं. जवाहरलाल नेहरू जी का संक्षिप्त परिचय:
इंदिरा गाँधी जी का संक्षिप्त परिचय:
पं. जवाहरलाल नेहरू हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री थे और बच्चों के प्रिय थे। उनके पत्रों से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें जीवन में बदलावों को खुशी से अपनाना चाहिए। बदलाव से हम नई चीजें सीखते हैं और आगे बढ़ने में मदद मिलती है। नेहरू जी की सीख हमें कठिन समय में धैर्य और हिम्मत से काम करना सिखाती है। आपके लिए यह जानना ज़रूरी है ताकि आप भी जीवन में आने वाले बदलावों का स्वागत कर सकें।
पिता का पत्र पुत्री के नाम
आज़ादी की लड़ाई के दौरान नेहरू जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था l जेल में उन्हें बेटी इंदिरा की बहुत चिंता सताती थी इसीलिए वे समय-समय पर उन्हें पत्र लिखते रहते थे l उनके इन्हीं पत्रों का संग्रह 'पिता के पत्र पुत्री के नाम' नामक पुस्तक में हैं l यह पत्र नेहरू जी ने अपने पिता मोतीलाल नेहरू के देहांत के बाद इंदिरा को सांत्वना देते हुए लिखा था 3 l
प्रिय इंदु ,
आशीष व ढेर सारा प्यार | मुझे पता है कि तुम्हें दादू के जाने का बहुत दुख है और तुम इस दुख में अक्सर रोती रहती हो |
हम उनके लिए शोक करते हैं और कदम-कदम पर उनकी कमी महसूस करते हैं | दिन गुज़रते जाते हैं लेकिन न तो दुख कम होता है और न उनके वियोग की असह्यता ही; लेकिन फिर सोचता हूँ कि हमारा ऐसा आचरण उन्हें कभी पसंद नहीं आता | उन्हें यह बिलकुल अच्छा नहीं लगता कि हम दुख से पस्त हो जाएँ | वे तो यही चाहते कि जैसे उन्होंने तकलीफों का मुकाबला किया, हम भी वैसा करें और उन तकलीफ़ों पर विजय पाएँ |
वे यही चाहते कि हम उनके छोड़े हुए अधूरे काम को जारी रखें | जब काम हमें पुकार रहा है और भारत की आज़ादी का मसला हमारी सेवाओं की माँग कर रहा है तब हम चुप कैसे बैठ सकते हैं ! व्यर्थ में शोक के सामने सिर कैसे झुका सकते हैं ! इसी उद्देश्य के लिए उन्होंने जान दी | इसी उद्देश्य के लिए हम जिंदा रहेंगे, कोशिश करेंगे और ज़रूरत हुई तो जान भी दे देंगे | आखिर, हम उनकी संतान हैं और हमारे अंदर उनकी लगन, ताकत और दृढ़ निश्चय का कुछ-न-कुछ अंश मौजूद है |
- तुम्हारा पिता जवाहर लाल
कठिन शब्दों के अर्थ -
Summary:
जवाहरलाल नेहरू ने अपनी बेटी इंदिरा को एक पत्र लिखा जब वे आज़ादी की लड़ाई के दौरान जेल में थे। इस पत्र में उन्होंने इंदिरा को उनके दादू, मोतीलाल नेहरू, के देहांत के बाद सांत्वना दी। नेहरू जी ने इंदिरा को बताया कि उन्हें अपने दादू की कमी महसूस होती है और दुख होता है, लेकिन उन्हें दुख में पस्त नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोतीलाल नेहरू कभी नहीं चाहते थे कि उनके परिवार वाले दुखी हों। वे चाहते थे कि उनके अधूरे काम को आगे बढ़ाया जाए और भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष जारी रखा जाए। नेहरू जी ने इंदिरा को प्रेरित किया कि वे अपने दादू के साहस और दृढ़ निश्चय को अपने जीवन में अपनाएं और आज़ादी की लड़ाई में अपना योगदान दें।
Extension/Further Reading:
नेहरू जी द्वारा पत्र इंदिरा गाँधी के लिए ही लिखे गए थे | यह विचार उन्होंने कभी नहीं किया था कि उन पत्रों को किताब का भी रूप दिया जाएगा लेकिन दोस्तों के कहने पर नेहरू ने इसे किताब का रूप दिया ताकि देश-दुनिया के तमाम बच्चे भी इसे पढ़ और समझ सकें l पत्र अंग्रेज़ी भाषा में लिखे गए थे लेकिन नेहरू चाहते थे कि ये हिंदी में भी छपें | जिसका अनुवाद आधुनिक हिंदी के महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने हिंदी में किया l